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पर्वाधिराज पर्युषण प्रारंभ समाजजन जुटे धर्म आराधना में

बडौद से संजय जैन की रिपोर्ट

पर्वाधिराज पर्युषण प्रारंभ
समाजजन जुटे धर्म आराधना में

बड़ौद. चातुर्मास अंतर्गत जैन समाज के आठ दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण प्रारंभ हुवें. प्रथम दिवस श्री विमलनाथ एवं श्री मनमोहन पार्श्वनाथ मंदिर में सुर्योदय के साथ ही भक्तों का तांदा लगना प्रारंभ हो गया. परमात्मा का अभिषेक कर केशर, चंदन, पुष्प सहित अष्ट प्रकारी पूजन भक्तो द्वारा की गयी. प्रातः 6 बजे नवरत्न परिवार के द्वारा प्रभातफेरी निकाली गयी. प्रातः 09:10 बजे श्री आनंदचंद्र जैन आराधना भवन में पूज्य साध्वी ब्राह्मी श्रीजी महाराज साहब द्वारा अष्ठानिका प्रवचन अंतर्गत श्रावक एवं श्राविकाओं के करने योग्य जीवदया, साधर्मिक भक्ति, सभी जीवों से क्षमापना, अठ्ठम तप, चैत्य परिपाटी उक्त पांच कर्तव्यों का उल्लेख किया. जैन धर्म में जीवदया यानि सुक्ष्म से भी सुक्ष्म जीव के प्रति दया का भाव प्रथम कर्तव्य बताया गया है, अन्य धर्मों में भी अहिंसा को महत्व दिया गया, किंतु जैन धर्म में विस्तृत रुप से दिया गया है. पूज्य श्री ने बताया कि परमात्मा ने सबको जिने का अधिकार दिया है. सभी जीवों के बडे भाई के रुप मनुष्य को बताया है, बडा भाई छोटो का पालक ओर रक्षा करने वाला होता है.
निगोद (कंजी), कंदमूल में अनंत जीव होते है, वर्षा के जल में निगोद की अधिक उत्पत्ति होती है, खाद्य पदार्थ में फूलन होती है जो अनंत जीवों का समूह होता है. कच्चे पानी की एक बुंद में अनंत जीव होते है, इन सब की विराधना से बचना चाहिए.
दोषों से मुक्ति के लिए परमात्मा ने धर्म आराधना बताई है. आठ दिवसीय महोत्सव में आराधना कर सभी जीवों से क्षमा याचना की जाना चाहिए.
ट्रस्टी ललित जै. राजावत ने बताया कि इन आठ दिनों धर्म गंगा का प्रवाह होकर आराधना होगी, समाजजन परमात्मा भक्ति, पूजन, प्रतिक्रमण, तप आदि क्रियाओं में वयस्त रहते है. इन आठ दिनों में हरी सब्जी एवं समस्त फलों का त्याग प्रत्येक श्रावक करता है.

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